भारत में बन रहा पहला रीयूजेबल रॉकेट, 25 मिशन में आएगा काम, हर उड़ान में 24-24 करोड़ होगा खर्च

Ind24tv.com// इसरो 2035 तक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की तैयारी में है। इसके लिए ऐसा रीयूजेबल रॉकेट चाहिए, जो न ज्यादा खर्चीला हो और न भारी। हैदराबाद की स्टार्टअप एब्योम स्पेस इसी पर काम कर रही है। इसका इंजन तैयार है। 150 टेस्ट भी हो चुके हैं। रॉकेट का ढांचा बन चुका है। इसे सितंबर 25 में लॉन्च करना है। भारत 1969 से रॉकेट बना रहा है, लेकिन रीयूजेबल तकनीक पर अब तक सफलता नहीं मिली, लेकिन अब इसके बेहद करीब हैं। यदि इस बार सफल हुए तो यह भारत का पहला रीयूजेबल रॉकेट होगा। अभी अमेरिकी कंपनी स्पेस एक्स के पास ऐसा ही हैवी रॉकेट है। हमारा रॉकेट 600 से 800 करोड़ रु. में बनेगा, लेकिन एक ही रॉकेट 25 उड़ानें भर सकेगा। यानी 25 बार अंतरिक्ष में जाकर सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर रॉकेट धरती पर लौटेगा। एक बार निर्माण के बाद हर उड़ान का खर्च 24-24 करोड़ के आसपास रहेगा। आरएसआर से पैन एशियाई तकनीकी कंपनियों को उनके माइक्रोग्राविटी व गुरुत्वाकर्षण प्रयोगों, वायुमंडलीय और वैज्ञानिक अध्ययनों में बहुत सुविधा मिलेगी। हम तीन तरह के रॉकेट बना रहे हैं। पहला रीयूजेबल साउंडिंग रॉकेट (आरएसआर), दूसरा एसआरएलवी और तीसरा एमआरएलवी रॉकेट। तीनों का इस्तेमाल छोटे सैटेलाइट्स लॉन्च करने में होगा। जबकि स्पेसएक्स का फोकस हैवी सैटेलाइट्स पर है। आरएसआर के बाद हम एशिया प्रशांत क्षेत्र का पहला दो चरणीय रीयूजेबल रॉकेट बना रहे हैं।