
रायपुर, छत्तीसगढ़// न्यूयॉर्क निवासी विभाश्री साहू ने न्यूयॉर्क में रहकर छत्तीसगढ़ी किताब “डोकरी दाई के किस्सा” लिखा और रायपुर आकर रूपाली महतारी गुड़ी बहुउद्देशीय संस्था की ओर से सिविल लाइन स्थित वृंदावन हॉल में इस छत्तीसगढ़ी किताब का विमोचन कराया। ये किताब एक तरह का बाल साहित्य है, जो नैतिक शिक्षा पर आधारित है। किताब में 7 अलग-अलग कहानी है। सभी कहानियों को पढ़कर ऐसा लगेगा कि इसे डोकरी दाई (दादी) बच्चों को सुना रही है। इसमें देबी दाई, टोपी-वाला, बेंगचा, गुरतुर तस्मई, बारासिंघा, शिव भोला, सत्तू रसोईया जैसी 7 कहानियां शामिल है। इन कहानियों को बच्चे आसानी से समझ सके, इसलिए इसमें छत्तीसगढ़ी शब्द कोष भी दिया गया है। वहीं हर कहानी के आखिरी में सीख दी गई है।
किताब विमोचन के साथ ही छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने के छत्तीसगढ़ निवासी विभाश्री 2007 से न्यूयार्क में निवासरत है। वह पेशे से शिक्षिका हैं। विभाश्री ने बताया कि मैंने बचपन में अपनी दादी से जो कहानियां सुनी, उन्हीं कहानियों को छत्तीसगढ़ी भाषा में लिखकर किताब का प्रकाशन कराया। अपनी घर की बहू को आदर सम्मान दें, मुसीबत में अपनी बुद्धि से काम लें, अपने पैरेंट्स और गुरुजनों का सम्मान करें, अतिथि भगवान समान है, दूसरों की बातों में ना आएं, चोरी करना बुरी बात है, अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से ना करें… ऐसी सीख हर कहानी के बाद दी गई है। इस किताब को लिखने में एक साल का समय लगा।