छत्तीसगढ़दुर्ग-भिलाई

भगवान बाबा रामदेव जी के परचे (चमत्कार) को सुनकर जय जय कार करते कर रहे है, भक्त!


दुर्ग// श्री बाबा रामदेव मंदिर गंजपारा दुर्ग के स्वर्ण जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य पर आयोजित संगीतमय श्री बाबा रामदेव जी की कथा में प्रतिदिन भक्तों का मेला देखने को मिल रहा है, दुर्ग में भगवान द्वारकाधीश के अवतार श्री बाबा रामदेव जी की यह पहली ऐसी कथा हो रही है जिसमें सभी समाज के धर्मप्रेमी एक साथ बैठकर कथा का आंनद ले रहे है और देर रात्रि तक बाबा के भजनों में झूमते नजर आ रहे है
   स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य पर समित्ति द्वारा दिनाँक 4 से 14 सितंबर तक प्रतिदिन अलग अलग समाज, संगठन एवं सेवा समिति द्वारा बाबा की आरती करवाई जा रही है जिसकी प्रशंशा पूरे शहर में हो रही है, सभी समाज के लोग प्रतिदिन संध्या आरती में सम्मलित होकर धर्म का लाभ ले रहे है एवं समित्ति को ऐसे सफल आयोजन की बधाई दे रहे है
    बाबा रामदेव जी की संध्या आरती में आज श्री कन्याकुब्ज वैश्य गुप्ता समाज भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव समिति श्री शिवायग्रुप सूर्यविहार कॉलोनी भिलाई के सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित थे
    आज की कथा में प्रसिद्ध कथावाचक श्याम देव शास्त्री वृंदावन वाले ने बताया कि बाबा पीरों के पीर रामापीर, बाबाओं के बाबा रामदेव बाबा’ को सभी भक्त बाबारी कहते हैं। जहां भारत ने परमाणु विस्फोट किया था, वे वहां के शासक थे। मध्यकाल में जब अरब, तुर्क और ईरान के मुस्लिम शासकों द्वारा भारत में हिन्दुओं पर अत्याचार कर उनका धर्मांतरण किया जा रहा था, तो उस काल में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सैकड़ों चमत्कारिक सिद्ध, संतों और सूफी साधुओं का जन्म हुआ। उन्हीं में से एक हैं रामापीर।
बाबा रामदेव जी दलितों के मसीहा थे बाबा रामदेव ने छुआछूत के खिलाफ कार्य कर दलित हिन्दुओं का पक्ष ही नहीं लिया बल्कि उन्होंने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ाकर शांति से रहने की शिक्षा भी दी। बाबा रामदेव पोकरण के शासक भी रहे, लेकिन उन्होंने राजा बनकर नहीं अपितु जनसेवक बनकर गरीबों, दलितों, असाध्य रोगग्रस्त रोगियों व जरूरतमंदों की सेवा भी की। इस बीच उन्होंने विदेशी आक्रांताओं से लोहा भी लिया।
डाली बाई की कहानी में कथा वाचक ने बताया कि बाबा रामदेव जन्म से क्षत्रिय थे लेकिन उन्होंने डाली बाई नामक एक दलित कन्या को अपने घर बहन-बेटी की तरह रखकर पालन-पोषण कर समाज को यह संदेश दिया कि कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। रामदेव बाबा को डाली बाई एक पेड़ के नीचे मिली थी। यह पेड़ मंदिर से 3 किमी दूर हाईवे के पास बताया गया है।
शास्त्री जी ने परचा क्या है इसका मतलब बताते हुए कहा कि बाबा रामदेव जी ने अपने जीवनकाल में लोगों की रक्षा और सेवा करने के लिए उनको कई चमत्कार दिखाए। आज भी बाबा अपनी समाधि पर साक्षात विराजमान हैं। आज भी वे अपने भक्तों को चमत्कार दिखाकर उनके होने का अहसास कराते रहते हैं। बाबा रामदेव जी द्वारा जो चमत्कार दिखाया गया उसे ही परचा देना कहते हैं। बाबा रामदेव जी ने कुल  24 परचे दिए हैं,

Dhanendra Namdev

Editor, IND24tv.com

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