
IND24TV.Com// भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक से लैस पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 यानी दिव्यास्त्र का सफल परीक्षण किया है। पांच हजार किमी की दूरी तक हमला करने में सक्षम इस मिसाइल की जद में पूरा चीन और यूरोप आ गया है। इसका सफल परीक्षण ओडिशा के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया।
■ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल परमाणु हथियारों संग एकसाथ कई वारहेड लेकर उड़ने में सक्षम है। एक बड़े क्षेत्र में फैले कम से कम तीन अलग- अलग लक्ष्य को तबाह कर सकता है।
■ 1.5 टन वजनी वारहेड के साथ यह मिसाइल देश के किसी भी कोने से 15 मिनट में चीन के किसी भी शहर को निशाना बना सकती है। इसे डीआरडीओ ने भारत डायनेमिक्स के साथ साझा परियोजना के तहत विकसित किया है।
■ अग्नि-5 के पहले भी परीक्षण हुए हैं, लेकिन एमआईआरवी तकनीक के साथ यह पहला सफल परीक्षण है। इसमें स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणाली का इस्तेमाल हुआ है। इनमें उन्नत पीढ़ी के सेंसर हैं, जिससे निशाना अचूक होगा।
■ कई लक्ष्यों को एकसाथ कर सकता है ध्वस्त, मोबाइल लॉन्चर से भी दाग सकते हैं, दिव्यास्त्र को मोबाइल लॉन्चर के जरिये भी दागा जा सकता है। यानी हमला कभी भी, कहीं भी किया जा सकता है।
यह भी खास
अग्नि-5 एमआईआरवी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर महिला है। हालांकि सुरक्षा कारणों से उनका नाम सार्वजनिक नहीं किया गया है। यह मिसाइल नाविक और उपग्रह मार्गदर्शन सहित उन्नत नेविगेशन प्रणाली से लैस है।
सुरक्षा परिषद में मजबूत होगी दावेदारी
भारत के अलावा अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ एमआईआरवी तकनीक से लैस इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। इससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी को मजबूत होगी, क्योंकि ऐसी क्षमता रखने वाले पांचों देश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। 175 मीटर ऊंची : दो मीटर चौड़ी और 175 मीटर ऊंची यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित तीन चरण वाले रॉकेट बूस्टर का इस्तेमाल करती है।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों पर गर्व
मिशन दिव्यास्त्र अग्नि-5 के लिए हमारे डीआरडीओ के वैज्ञानिकों पर गर्व है। इनकी मदद से एमआईआरवी तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित इस मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफल रहा। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री