गीले कचरे से बन रहा खाद, सूखे कचरे का होगा रिसाइकिल
दुर्ग, छत्तीसगढ// डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव को लेकर शहर में कुछ जगहों पर कूड़ा को जीरो वेस्ट में छोड़ा जा रहा है। दुर्ग नगर पालिक निगम द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अंतर्गत प्रतिदिन डोर टू डोर कलेक्शन से प्राप्त गीले कचरे से स्वच्छता दीदियों द्वारा जैविक खाद बनाया रहा जा है। सूखे कचरे (जैसे कागज, प्लास्टिक सामान, लोहा आदि) को विक्रय कर रिसाइकल किया जाता है। तथा मल्टी लेयर प्लास्टिक को बेलिंग मशीन द्वारा बेल कर जे के लक्ष्मी सीमेंट प्लांट को विक्रय किया जाता है। महापौर धीरज बाकलीवाल और आयुक्त लोकेश चन्द्राकर द्वारा शहर के नागरिकों से गिला और सुखा कचरा अलग अलग कर स्वच्छता दीदियों को देने और कचरा बाहर न फेंकने की अपील की गई है। इससे घर-घर से निगम के वाहन के माध्यम से कचरा उठाने के बाद सीधा कचरा जीरो वेस्ट सेंटर में छोड़ा जा रहा है। बता दे कि हर दिन गीला-सूखा कचरा अलग किया जा रहा दुर्ग निगम द्वारा रिसाइकिल, रिडयूस व रियूज के सिद्धांत के तहत अच्छा वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बेहतर कार्य कर रहा है। शहर के हर घरों से गीला और सूखा कचरा प्रतिदिन अलग-अलग लिया जाता है। औसतन 125 टन से अधिक कचरा प्रतिदिन उत्पादित होता है, जिसमे 76 टन गीला एवं 49 टन सूखा कचरा होता है। वार्डो में चलने वाले निगम की वाहन में नीले और हरे रंग के डस्टबिन होंगे। इसमें लोग गीला और सूखा कचरा डालेंगे। गीले कचरे से वर्मी कंपोस्ट, खाद, जबकि सूखे कचरा को रिसाइकिल कर उपयोग किया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग प्रभारी हमीद खोखर एवं स्वस्थ्य अधिकारी जावेद अली, जिला समन्वयक कुणाल खड़तकर, राहुल मोरने जनता ने अपील कर कहा कि हरे (गीला कचरा) डस्टबिन में सब्जी व फल के छिलके, सब्जी, फल व अंडे के छिलके रखे जाएंगे। खाने के बाद बची सामग्री को भी इसी में डालना होगा। चिकन और मछली से निकली हड्डिया, सड़े हुए फल और सब्जी, चायपत्ती और कॉफी के अवशेष, पेड़ों के नीचे गिरी पत्तिया, सड़क पर बिखरे फूल-पत्ती आदि को हरे डस्टबिन में रखना है।नीले (सुखा कचरा) डस्टबिन में सूखा कचरा। नीले डस्टबिन में प्लास्टिक कवर, बॉटल, बक्से, मेमोरी कार्ड (चिप), टॉफी रैपर, प्लास्टिक कप, दूध-दही पैकेट आदि रखने हैं। इसके अतिरिक्त समाचार पत्र-पत्रिका, स्टेशनरी, कार्डबोर्ड कॉर्टन, पिज्जा बॉक्स, टेट्रा पैक (जूस, दूध, माजा की पैकिंग), कागज के कप और प्लेट रखे जाएंगे। धातु से बनी खाना पैक करने वाली कटोरी, धातु के कैन भी इसी डस्टबिन में रखे जाएंगे। इसके अतिरिक्त रबर, थर्मोकोल,डस्टर, रुई, गद्दे, कॉस्मेटिक्स, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के अवशेष, बाल, नारियल के छिलके भी इसी में रखे जाएंगे।
मानी कंचन केंद्र में RRR सेंटर का भी प्रारंभ किया गया है , जिसमे जनता दान पुराने समान, कपड़े, बर्तन,पुस्तकें दिया जा जा सकता है, जिसका पुनः उपयोग जरूरतमंदों द्वारा किया जा सके।