
जगदलपुर, छत्तीसगढ़// प्रदेश में नक्सलवाद एक बहुत बड़ी समस्या है, वहीं सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद से निपटने के लिए पारद पद्धति अपनाई है जिससे पिछले कुछ महीनो से सुरक्षा बलों को नक्सलवाद से निपटने में लगातार सफलता मिल रही है। आज से लगभग 10 साल पहले ग्रामीणों ने इस पद्धति का सुझाव दिया था जिसमें उन्होंने पारद पद्धति से नक्सलियों को घेर कर करने का सुझाव दिया था। केंद्र और राज्य सरकार के निर्देश के बाद सुरक्षा बल अभी इसी पद्धति से ऑपरेशन चला रहा है यही वजह है कि बीते 5 महीनो में ही 100 से अधिक नक्सलियों को मार गिराने में सफलता मिली है। वही जवानों को भी बहुत कम नुकसान पहुंचा है।
गौरतलब है कि नक्सल समस्या से निपटने के लिए सुरक्षा बल के आला अधिकारियों से लेकर बस्तर के ग्रामीण तक हल निकालने का लगातार प्रयास करते रहे हैं, किंतु पुनर्वास नीति के चलते सरकार नक्सलियों पर डायरेक्ट अटैक नहीं कर पा रही थी। लेकिन पानी जब सर के ऊपर से हो गया तब नक्सलियों को घेर कर मारा जा रहा है।
क्या है पारद पद्धति
पारद का मतलब होता है शिकार, दरअसल यह शिकार एक धार्मिक अनुष्ठान है नारायणपुर के जाने-माने लेखक शिवनारायण ने लिखा है पारद पद्धति खेलने जाने से पहले आदिवासियों को देवताओं की अनुमति लेनी होती है इसमें गांव के प्रत्येक घर से एक व्यक्ति का होना अनिवार्य होता है इसमें जंगल को चारों तरफ से घेरकर वन्यजीवों का सामूहिक रूप से शिकार किया जाता है माटी तिहार के समय यह अनुष्ठान किया जाता है, इसी पद्धति को अपनाकर सुरक्षा बल भी नक्सलियों को घेर कर करने का टारगेट फिक्स करते हैं।