विकास के वादे हवा हुए, अवैध प्लाटिंग का जाल और जन-समस्याएं बेलगाम
दुर्ग… जानिए पूरा मामला…?




ind24tv.com// दुर्ग शहर में भाजपा महापौर श्रीमती अलका बाघमार के नेतृत्व वाली शहरी सरकार को सत्ता में आए चार महीने हो चुके हैं, लेकिन जनता के बीच शुरुआती उत्साह अब निराशा में बदलता दिख रहा है। “भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ेंगे, विकास की गाथा लिखेंगे, अवैध अतिक्रमण से शहर को मुक्त करेंगे” जैसे बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में आईं महापौर पर अब केवल प्रेस विज्ञप्ति जारी कर वाहवाही लूटने का आरोप लग रहा है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
विकास कार्य नदारद और वित्तीय संकट..?
शहर में विकास कार्य पूरी तरह से नदारद नज़र आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, शहरी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद निगम प्रशासन को मात्र 10 करोड़ रुपये की राशि मिली है, जिसमें पार्षद निधि और महापौर निधि भी शामिल है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के प्रस्तावों की राशि को अब अपनी बताने की कोशिश की जा रही है, जो वित्तीय प्रबंधन पर सवाल खड़े करती है।
अवैध प्लाटिंग का बढ़ता जाल: प्रेस विज्ञप्ति तक सीमित कार्रवाई..?
महापौर बाघमार द्वारा शहर में अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई पर असफलता हाथ लगी है। हैरानी की बात यह है कि शहर के मध्य कसारीडीह और बोरसी एवं उरला जैसे क्षेत्रों में खुलेआम अवैध प्लाटिंग का कार्य बदस्तूर जारी है। ऐसा लगता है कि जिस बात को पूरी जनता जानती है, उस बात से शहरी सरकार की मुखिया अनभिज्ञ हैं। महापौर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बड़ा संदेश देती हैं कि शहर में अवैध प्लाटिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन विगत चार महीनों में कहीं भी अवैध प्लाटिंग के विरुद्ध ठोस कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है। शहर के विकास मदों का इन अवैध कॉलोनियों पर खर्च कहीं न कहीं आम जनता के साथ धोखा साफ नजर आ रहा है।
लोकतंत्र का मजाक और विपक्ष का अनादर
शहरी सरकार पर लोकतंत्र का मजाक बनाने का भी आरोप है। विपक्ष को वह सम्मान नहीं दिया गया, जिसका वह हकदार है। भले ही नेता प्रतिपक्ष ने खुले में अपना कक्ष बना लिया हो, लेकिन इस स्थिति के लिए शहरी सरकार को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की पक्षधर महापौर अलका बाघमार द्वारा विपक्ष का अपरोक्ष रूप से जो सम्मान किया जा रहा है, वह सभी के सामने है।
बढ़ती समस्याएं: आवारा पशु और बदहाल सफाई व्यवस्था शहर में आवारा मवेशी जानवरों का भी बोलबाला है, जो लगातार दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। पहली बरसात में ही शहर की सफाई व्यवस्था की स्थिति सभी ने देख ली है, जिससे नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन गंभीर समस्याओं पर भी शहरी सरकार का ध्यान नहीं है।
भाजपा पार्षदों में आपसी गुटबाजी
सूत्रों के अनुसार, भाजपा पार्षदों के बीच भी आपसी गुटबाजी चरम पर है, जिसका सीधा असर शहर के विकास और जनहित के कार्यों पर पड़ रहा है। अंदरूनी कलह के कारण कई महत्वपूर्ण निर्णय अटके हुए हैं और जनसामान्य की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।
दुर्ग नगर पालिक निगम में श्रीमती अलका बाघमार शायद पहली महापौर होंगी, जिनके चार माह के कार्यकाल में ही जनता त्रस्त हो गई है। अब जनता को बाकी के 4 साल 8 महीने और इंतजार करना होगा, यह सोचकर ही उनमें निराशा का भाव है। क्या शहरी सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी उतर पाएगी या यह निष्क्रियता और अवैध गतिविधियों का दौर जारी रहेगा, यह देखना बाकी है।