20 साल का खेल और अब महापौर की बारी, अवैध कॉलोनियों पर लुटते खजाने की कौन लेगा ज़िम्मेदारी..?

छत्तीसगढ़ दुर्ग// नगर निगम में पिछले दो दशकों से विकास की जो तस्वीर जनता के सामने आई है, वह सवालों के घेरे में है। बीते 20 वर्षों में से 15 वर्ष भाजपा के पास रहे और 5 साल कांग्रेस के। इन वर्षों में नगर निगम प्रशासन के पास अवसर भी था और संसाधन भी, लेकिन नियोजित विकास के बजाय, दुर्ग शहर में अवैध कॉलोनियों की बेलगाम बढ़त और वहां सुविधाओं की खुली बर्बादी ने शासन-प्रशासन की नियत पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
आज जब नगर निगम सरकार की कमान महापौर श्रीमती अलका बाघमार के हाथों में है और सरकार को चार माह से अधिक हो चुके हैं, तब जनता यह जानना चाहती है कि क्या वर्तमान महापौर अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए बीते चार महीने की अव्यवस्था पर संज्ञान लेंगी?
अवैध कॉलोनियों पर मेहरबान निगम, वैध कॉलोनियां वंचित!
वार्ड क्रम. 56–57 सहित कई क्षेत्रों में अवैध प्लॉटिंग कर खुलेआम निर्माण किए जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इन्हीं अवैध कॉलोनियों में नगर निगम की ओर से सड़क, नाली, जल निकासी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं दी जा रही हैं, जबकि वैध कॉलोनियां और शहरी बाजार अब भी मूल सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
यह कौन सा न्याय है? क्या यह प्रशासन की विफलता नहीं कि जहां वैधता है, वहां सुविधा नहीं, और जहां अवैधता है, वहां करोड़ों की खर्चीली मेहरबानी?
क्या महापौर अलका बाघमार देंगी सशक्त उदाहरण..?
जनता का सीधा सवाल है – क्या शहर की प्रथम नागरिक होने के नाते महापौर श्रीमती अलका बाघमार यह सुनिश्चित करेंगी, नगर निगम द्वारा बीते वर्षों में अवैध कॉलोनियों पर हुए खर्च की जांच कराई जाए?
ऐसे अधिकारियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाए जिन्होंने नियमों को दरकिनार कर सुविधाएं दीं…?
राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रही प्लॉटिंग और निर्माण पर निष्पक्ष जांच कमेटी गठित हो…?
पुराना इतिहास, नया दायित्व…
15 साल तक भाजपा और 5 साल तक कांग्रेस की सरकार ने शहर को अवैध निर्माणों की ओर धकेला, लेकिन अब जब वर्तमान शहरी सरकार के पास मौका है, तो क्या वह इससे अलग रास्ता अपनाएगी..? या फिर वही “पुरानी चाल, नया मुखौटा” वाली कहानी दोहराई जाएगी?
“महापौर अलका बाघमार के सामने अब जनता की अदालत – क्या अवैध कॉलोनियों की जांच कर दिखाएंगी सच्ची नेतृत्व क्षमता…?”
अब जनता की निगाहें इस पर टिकी हैं कि महापौर केवल बयानबाजी करेंगी या फिर प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव से ऊपर उठकर निष्पक्ष कार्रवाई कर एक मिसाल पेश करेंगी।