वैज्ञानिकों ने स्वचालित जलस्तर रिकॉर्डर तकनीक का किया प्रयोग, जो हिमखंडों के टूटने का आसानी से लगाएगा पता।

Ind24tv.com// जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय के ग्लेशियर को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने नया प्रयोग किया है। भारत ने पहली बार हिमालय में स्वचालित जलस्तर रिकॉर्डर तकनीक स्थापित किया है जो ग्लेशियर से पिघलने वाले पानी का सही आकलन कर सकेगा। इसके लिए वैज्ञानिकों ने पश्चिमी हिमालय के चंद्रा बेसिन क्षेत्र को केंद्र बिंदु बनाया है। केंद्र सरकार के राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) ने हिमालय अभियान के तहत हजारों फुट की ऊंचाई से परे इस तकनीक का इस्तेमाल किया है। साथ ही ग्लेशियर की सेहत की जांच के लिए पहला भाप चालित बर्फ ड्रिल तकनीक का भी प्रयोग किया है। इससे ग्लेशियर द्रव्यमान संतुलन को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लेशियर सीधे जलवायु पर प्रतिक्रिया करते हैं और इसलिए जलवायु परिवर्तन के सबसे अच्छे प्रारंभिक संकेतक के रूप में कार्य करते हैं। ग्लेशियरों के अध्ययन से अतीत की जलवायु का पुनर्निर्माण, वर्तमान जलवायु की समझ और भविष्य की जलवायु की धारणा मिल सकती है।