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ज्येष्ठ माह में जलदान, सर्वश्रेष्ठ दान, जानिए इसका महत्व!

बिलासपुर छत्तीसगढ़// हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ का महीना आरंभ हो गया। जेठ को ज्येष्ठ मास भी कहा जाता है। हिंदू पंचाग यह तीसरा महीना है जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व बताया गया है। अपरा व निर्जला एकादशी, गंगा दशहरा, वट सावित्री व्रत आदि जैसे प्रमुख व्रत और त्योहार इसी माह आएंगे। ज्येष्ठ का महीना भगवान सूर्य, शनि देव, जल के देवता वरुण देव और हनुमानजी को समर्पित है। इस महीने में किया गया जल दान कई जन्मों तक शुभ फल प्रदान करता है। इस साल ज्येष्ठ माह 24 मई को शुरू हो गया है यह 22 जून तक रहेगा।

ज्येष्ठ मास में जल का दान सबसे श्रेष्ठ बताया गया है। इस मास में जल का दान करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। ज्येष्ठ मास में प्याऊ लगाना, नल लगवाना और पोखर, तलाबों का सरंक्षण करना विशेष फलदायी माना गया है। ज्योतिधराचार्य डॉ. संतोष तिवारी ने बताया कि ज्येष्ठ मास के स्वामी मंगल है। मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में साहस का प्रतीक माना गया है। इस माह में सूर्य का तेज ज्यादा होता है। ज्येष्ठ में कुछ कार्यों को करने से सूर्य देव की कृपा पाई जा सकती है।

इस कारण पड़ा माह का नाम ज्येष्ठ
ज्येष्ठ मास प्रकृति और प्राकृतिक संपदा के महत्व को भी बताता है। इस मास में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं। ज्येष्ठ मास में दिन बड़ा और रात छोटी होती है। दिन बड़ा होने के कारण ही इसे ज्येष्ठ कहा जाता है। इसे जेठ भी कहते हैं। ये मास जीवन में जल के महत्व को भी बताता है। ज्येष्ठ मास की दूसरे पक्ष यानि शुक्ल पक्ष में गर्मी अधिक पड़ती है। निर्मला एकादशी का व्रत भी ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है।

Dhanendra Namdev

Editor, IND24tv.com

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