चावल की कीमत में हुई वृद्धि, बासमती चावल का दाम 90 रुपए से बढ़कर हुआ 105 रुपए
दुर्ग छत्तीसगढ़// धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में बंपर पैदावारी के बाद भी लोकल बाजार में चावल के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। पखवाड़ेभर के भीतर ही सभी किस्मों के चावल की कीमतों में 15 से 20 फीसदी का इजाफा हो गया है। बीते नवंबर 2023 में जिस बासमती चावल का भाव पहले 80 से 90 रुपए किलो था, उसकी कीमत बढ़कर 105 रुपए तक हो गई है। 38 रुपए किलो मिलने वाला कनी बासमती (ब्रोकन) भी पहले 40, फिर 42 से बढ़कर अब सीधे 50 रुपए किलो हो गया है।
धान का समर्थन मूल्य बढ़ने (31 रुपए/क्विंटल) का असर बाजार पर अब पड़ रहा है। इससे किसानों को तो फायदा हुआ है, लेकिन मध्यम और उच्च वर्गीय परिवार जो खुले बाजार से अपनी पसंद का चावल खरीदते हैं, उनके लिए महंगा होता जा रहा है। पीडीएस में मिलने वाले चावल की कीमत खुले खुदरा बाजार में पिछले साल के 22-24 से बढ़कर 30 रुपए प्रति किलो हो गई है।
धान का समर्थन मूल्य और खरीदी की मात्रा दोनों बढ़ गई : भिलाई चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष गारगी शंकर मिश्र का कहना है कि चुनावी वादों को पूरा करने सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर चावल की खरीदारी करना प्रमुख है। 2023-24 के लिए धान की सामान्य किस्म के लिए एमएसपी 2183 रुपए/क्विंटल है। छत्तीसगढ़ में प्रति एकड़ 21 टन धान की सीमा के साथ 3100 रुपए प्रति क्विंटल पर धान खरीदी हो रही है, जो एमएसपी से 42% अधिक है।
चावल व्यापारियों के मुताबिक सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) के जरिए मुफ्त या रियायती दरों पर लोगों को चावल दे रही है। इससे खुले बाजार में पहले की तुलना में चावल की बिक्री में 50% की कमी आ गई है। अब सिर्फ लगभग 40 हजार मध्यम और उच्च वर्गीय परिवार ही अपनी पसंद का चावल खरीद रहे हैं। अनुमान के मुताबिक हर महीने भिलाई में करीब 700 और दुर्ग में 400 टन चावल की बिक्री होती है।
छग के चावल की साउथ में डिमांड थोक चावल व्यवसायी सतीश खंडेलवाल का कहना है कि छत्तीसगढ़ का चावल इन दिनों दक्षिण भारत के राज्यों में जा रहा है। खासतौर पर कर्नाटक और तेलंगाना में हमारे चावल की खासी मांग बढ़ गई है। वहां बारिश की वजह से इस साल फसल खराब हो गई है। इसके अलावा निर्यात बाजार में भी भारतीय चावल की डिमांड बढ़ गई है। खासतौर पर ईरान, सउदी अरब और यमन में बासमती एवं गैर बासमती अन्य सुगंधित चावलों की काफी मांग है। इसलिए अन्य राज्यों से भी चावल नहीं आ रहा है।